इस समझौता के तहत विशेषरूप से 5जी, दूरसंचार संचार सुरक्षा और सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा.
भारत और जापान ने 15 जनवरी 2021 को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. केन्द्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और जापान के आंतरिक मामलों एवं संचार मंत्री तकेदा रायोटा ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इसका आदान-प्रदान किया.
इस समझौता के तहत भारत और जापान 5जी नेटवर्क को विकसित करने, संचार सुरक्षा, समुद्र के भीतर फाइबर केबल बिछाने और स्मार्ट सिटी जैसे प्रोजेक्ट पर मिलकर काम करेंगे. इस समझौता के तहत विशेषरूप से 5जी, दूरसंचार संचार सुरक्षा और सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा.
उद्देश्य
भारतीय दूरसंचार विभाग और जापान का संचार मंत्रालय 5जी टेक्नोलॉजी, टेलीकॉम सुरक्षा, भारतीय द्वीपों के लिए सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबस सिस्टम, स्पेक्ट्रम प्रबंधन, स्मार्ट शहर, संपर्क से दूर इलाकों में ब्रॉडमबैंड के लिए अधिक ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म, आपदा प्रबंधन और जनसुरक्षा के लिए संयुक्त सहयोग मजबूत करेंगे.
इस बात पर सहमति जताई गई है कि मंत्रालयस्तरीय सहयोग से इतर, भारत सरकार के सी-डॉट और आईटीआई लिमिटेड जैसे संगठन भी जापान के औद्योगिक भागीदारों के साथ इस सहयोग का हिस्सा होंगे.
मुख्य बिंदु
केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अंडमान निकोबार को सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ने के काम को समय से शुरू करने को भारत और जापान के बीच सहयोग का बेहतरीन उदाहरण बताया.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने आरोग्य सेतु, नकदी की समस्या न हो इसके लिए भारतीय डाक द्वारा आधार से भुगतान व्यवस्था, अदालतों में डिजिटल सुनवाई की व्यवस्था और डिजिटल पेमेंट जैसी नई डिजिटल तकनीकों को अपनी व्यवस्था में तेजी से समाहित किया.
बयान में कहा गया है कि दोनों देश स्मार्ट शहर, वंचित इलाकों में ऊंचाई वाले मंचों पर ब्रॉडबैंड, आपदा प्रबंधन और जन सुरक्षा क्षेत्र में भी आपसी सहयोग का विस्तार करेंगे.
भारत-जापान संबंध
भारत और जापान के संबंध हमेशा से काफी मजबूत और स्थिर रहे हैं. जापान की संस्कृति पर भारत में जन्मे बौद्ध धर्म का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है. भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी जापान की शाही सेना ने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज को सहायता प्रदान की थी. भारत की स्वतंत्रता के बाद से भी अब तक दोनों देशों के बीच मधुर संबंध रहे हैं.
भारत और जापान दोनों ही देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य है. साथ ही दोनों देश G-4 समूह (भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान) के सदस्य हैं, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिये एक दूसरे की दावेदारी का समर्थन करते हैं.
भारत-जापान एसोसिएशन की स्थापना साल 1903 में की गई थी और वर्तमान में यह जापान में सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय मैत्री निकाय है. भारत की स्वतंत्रता के पश्चात साल 1957 में जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा और इसी वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री की जापान यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को नई मज़बूती प्रदान की गई.